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78 महिलाओं को डिजिटल क्यूआर कोड दिया गया

Khoboriya दिसम्बर 4, 2025 0
गांव की महिलाओं के साथ डीसी व अन्य
गांव की महिलाओं के साथ डीसी व अन्य

EAST SINGHBHUM : उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की पहल पर महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में मुसाबनी प्रखंड के गोहला पंचायत में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) से जुड़ी 78 महिला सदस्यों को डिजिटल क्यूआर कोड उपलब्ध कराया गया । एफपीओ में कुल 300 महिलाएं सदस्य हैं, जिनमें प्रथम चरण में 78 महिला उद्यमियों को क्यूआर कोड वितरित किए गए । क्यूआर कोड उपलब्ध कराए जाने का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर उत्पाद बेचने की प्रक्रिया को अधिक सरल और डिजिटल बनाना है ताकि महिला उद्यमी सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ सकें और अपने उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त कर सकें।

*300 एकड़ क्षेत्र में होती है कॉमर्शियल खेती*

गोहला पंचायत स्थित एफपीओ द्वारा लगभग 300 एकड़ भूमि पर व्यावसायिक खेती की जा रही है जिनमें सब्जियां और दलहन की खेती प्रमुख है। 300 एकड़ में गोभी, शिमला मिर्च, बिंस, गाजर, मूली, मटर समेत अरहर, मूंग सहित अन्य दालें और अन्य स्थानीय एवं मौसमी फसलें उत्पादित की जा रही हैं। इस उत्पादन व्यवस्था में महिला किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो खेत प्रबंधन, प्रोसेसिंग तथा विपणन गतिविधियों को दक्षता से संचालित कर रही हैं ।

गोहला पंचायत भवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त श्री कर्ण सत्यार्थी ने महिला उद्यमियों की प्रगति की सराहना की तथा अन्य जरूरी सहयोग प्रदान करने को लेकर भी आश्वस्त किया । उपायुक्त ने संबंधित विभागों को एफपीओ क्षेत्र में दाल मिल स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश दिए। दाल मिल की स्थापना से न केवल दलहन उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि स्थानीय महिलाओं के लिए प्रोसेसिंग, पैकिंग और विपणन के नए रोजगार अवसर भी सृजित होंगे।

वहीं, उपायुक्त द्वारा 30 मीट्रिक टन क्षमता वाले कोल्ड स्टोरेज को ग्राम संगठन को हस्तांरित करने की बात कही गई ताकि संगठन द्वारा इसका समुचित उपयोग कर किसानों को बेहतर भंडारण सुविधा प्रदान की जा सके। इससे सब्जियों एवं अन्य उत्पादों का बेहतर रखरखाव सुनिश्चित किया जा सकेगा जिससे किसानों की आय में वृद्दि होगी। 

*महिला उद्यमियों को डिजिटल, बाज़ार और वित्तीय कौशल से जोड़ने की रणनीति*

जिला प्रशासन की ओर से महिला किसानों और उद्यमियों को डिजिटल पेमेंट एवं ई–मार्केटिंग, उत्पादों की ब्रांडिंग व पैकेजिंग, मूल्य संवर्धन (Value Addition), वित्तीय साक्षरता एवं उद्यम प्रबंधन से संबंधित जरूरी मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण उपलब्ध कराने पर भी चर्चा की गई। 

उपायुक्त ने कहा कि एफपीओ और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं सशक्त हो रही हैं और जिला प्रशासन की ओर से हर संभव तकनीकी एवं बाजार आधारित सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने इसे ग्राम स्तर पर उद्यमिता विकास (Village Level Entrepreneurship) की दिशा में एक सशक्त कदम बताया। उपायुक्त ने विश्वास व्यक्त किया कि गोहला पंचायत में चल रही कृषि आधारित पहलों से न केवल स्थानीय आजीविका मजबूत होगी बल्कि महिला स्वावलंबन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी ।

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ठंड बढ़ने से झारखंड में मौसम हुआ सर्द

झारखंड के कई जिलों में पिछुआ हवाओं के कारण ठंड में तेज बढ़ोतरी हुई है, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के अनुसार, पिछुआ हवाएं उत्तर से उत्तर-पश्चिम दिशा से चल रही हैं, जिनके कारण न्यूनतम तापमान में लगभग चार डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है। राजधानी रांची सहित आसपास के क्षेत्रों में सुबह का तापमान करीब 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास है, जिससे सुबह के समय काफी ठंडक बढ़ गई है। इस वर्ष सर्दी ने अपनी दस्तक समय से पहले दे दी है, क्योंकि मौसम विभाग ने पहले ही नवंबर के अंत से ठंड बढ़ने की चेतावनी दी थी। रातों में तापमान करीब 9 डिग्री तक गिर जाता है, जिससे पूरे क्षेत्र में ठंड का असर महसूस किया जा रहा है।   राज्य के अधिकांश जिलों में मंगलवार को मौसम साफ और शुष्क रहा और मध्यम तेजी से हवा चली, जिससे ठंडी हवा का अनुभव हुआ। पिछले 24 घंटों में गोड्डा जिले में अधिकतम तापमान 28.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि गुमला में न्यूनतम तापमान 8.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ। रांची में अधिकतम तापमान 24.6 और न्यूनतम 11.1 डिग्री सेल्सियस रहा। कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को सलाह दी है कि इस ठंड में फसलों की सुरक्षा के लिए सिंचाई का विशेष ख्याल रखा जाए ताकि वे प्रभावित न हों।   मौसम विभाग ने सूचना दी है कि बंगाल की खाड़ी में दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जिससे चक्रवात बनने की संभावना है। यह चक्रवात झारखंड सहित आसपास के क्षेत्रों के मौसम पर असर डाल सकता है। इस कारण अगले दो दिनों में तापमान में और गिरावट आने की संभावना है और बारिश या तेज हवाओं के चलते खेल आयोजन प्रभावित हो सकता है।राजधानी रांची सहित अन्य जिलों में पछुआ हवाओं के कारण कनकनी बढ़ गई है, जिससे सुबह और शाम की ठंड अधिक महसूस होती है।

रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव का हुआ समापन

जमशेदपुर: बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में बुधवार को रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव का समापन हुआ. इस पांच दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन शाम को नागपुरी, संताली और जनजातीय लोकगीतों की गूंज के साथ पूरा मैदान झूम उठा. देश के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों ने अपने लोक संगीत और नृत्य से जनजातीय संस्कृति की विविधता का परिचय कराया. नागपुरी गायक अर्जुन लकड़ा और गायिका गरिमा एक्का ने संवाद अखड़ा मंच को संभाला. जैसे ही अर्जुन लकड़ा संवाद अखड़ा मंच पर पहुंचे, युवाओं में उत्साह की लहर दौड़ गयी. दर्शकों ने उनकी पसंदीदा गीतों की फरमाइश शुरू कर दी. लकड़ा ने अपने ट्रेडिंग गीतों की प्रस्तुति देकर माहौल को जोश से भर दिया. उनका गायकी का अंदाज और स्टेज कवरिंग शैली दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर रही थी. इसके बाद संताली गायिका कल्पना हांसदा ने अपनी मधुर आवाज में पारंपरिक व मॉडर्न गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीत लिया. उनके गीतों की धुन पर युवाओं ने मैदान में समूह बनाकर नृत्य किया. रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजे युवाओं ने एक-दूसरे का हाथ थाम लोकनृत्य की लय पर झूमकर ट्राइबल संस्कृति की जीवंत छटा बिखेर दी. जनजातीय संगीत पर मंत्रमुग्ध हुए दर्शक कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग और युवा उपस्थित थे. हर गीत, हर प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही. युवाओं ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाकर इस सांस्कृतिक माहौल को कैद किया. सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि मेघालय, सिक्किम, नागालैंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से आये कलाकारों ने भी अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन कर खूब वाहवाही बटोरी. संवाद अखड़ा के मंच पर इन कलाकारों ने लोकनृत्य, पुनर्जीवित रिवाजों और जनजातीय संगीत के सुरों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम समापन की यह शाम सांस्कृतिक विविधता का उत्सव बना. लौहनगरी जमशेदपुर की धरती पर कलाकारों ने एकता और कला के नये रंग भी बिखेरा. स्टॉलों से एक करोड़ से अधिकार का हुआ कारोबार संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में जनजातीय व्यंजनों के स्टॉल समेत कला और हस्तशिल्प व पारंपरिक उपचार के स्टॉल्स के कई स्टॉल भी लगाये थे. जहां शहर समेत कोल्हान के विभिन्न जगहों से आये लोगों ने जमकर खरीदारी भी की. टीएसएफ के रिपोर्ट के मुताबिक इसबार संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में एक करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ है. इससे यह बात साबित होती है कि जनजातीय समाज की वस्तुएं अब ब्रांड बन चुकी हैं. जिसे आदिवासी ही नहीं अन्य समाज व समुदाय के लोग भी खूब पसंद कर रहे हैं. संवाद फेलोशिप के लिए नौ फेलो का किया चयन टाटा स्टील फाउंडेशन ने संवाद फेलोशिप 2025 के लिए 9 फेलो के चयन की भी घोषणा की. इनका चयन 572 आवेदनों में से किया गया, जो 25 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 122 जनजातियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. जिनमें विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों से 10 आवेदक शामिल थे. फाउंडेशन ने पिछली कई फेलोशिप परियोजनाओं के पूरा होने का भी जश्न मनाया.

टाटा स्टील डाउनस्ट्रीम प्रोडक्ट्स लिमिटेड, कलिंगानगर ने जीता ‘कलिंगा सेफ्टी एक्सीलेंस अवॉर्ड

जमशेदपुर: टाटा स्टील डाउनस्ट्रीम प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TSDPL), कलिंगानगर को वर्ष 2024-25 के लिए प्रतिष्ठित कलिंगा सेफ्टी एक्सीलेंस अवॉर्ड- प्लेटिनम कैटेगरी से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान ओडिशा के इंस्टिट्यूट ऑफ क्वालिटी एंड एनवायरनमेंट मैनेजमेंट सर्विसेज (IQEMS) द्वारा, डायरेक्टरेट ऑफ़ फैक्ट्रीज़ एंड बॉयलर्स, सरकार ओडिशा के तत्वावधान में प्रदान किया गया। यह पुरस्कार कार्यस्थल सुरक्षा के प्रति उत्कृष्ट प्रतिबद्धता को मान्यता प्रदान करता है और एक सख्त त्रि-स्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद प्रदान किया गया। इस प्रक्रिया में विस्तृत आवेदन, ऑनलाइन प्रस्तुति और विशेषज्ञ जूरी द्वारा ऑन-साइट मूल्यांकन शामिल था। इस साल के संस्करण में भारत भर की 100 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया। यह सम्मान 19 और 20 नवंबर को भुवनेश्वर में आयोजित समारोह में ओडिशा विधान सभा की माननीय अध्यक्ष, श्रीमती सुरमा पाढ़ि एवं जाजपुर के संसद सदस्य डॉ. आर.एन. बेहरा द्वारा प्रदान किया गया। राजेश चौधरी, चीफ, टीएसडीपीएल कलिंगानगर प्लांट ने यह पुरस्कार अगम कुमार, चीफ-सेफ्टी, टिनप्लेट और मेटालिक्स डिवीजन की उपस्थिति में प्राप्त किया। अवॉर्ड प्राप्त करते हुए राजेश चौधरी ने कहा कि यह सम्मान हमारी सुरक्षा उत्कृष्टता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमने प्लांट में सुरक्षा संस्कृति को मजबूत करने के लिए डिजिटलाइजेशन, ऑटोमेशन, कैमरों के माध्यम से उन्नत निगरानी, सेफ्टी फेंसिंग, प्रिवेंटिव मेंटेनेंस प्रैक्टिसेज और व्यवहार परिवर्तन आधारित कार्यक्रम जैसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

झारखंड आंदोलनकारी सामाजिक सुरक्षा, सम्मान व अधिकारों के मुद्दें को लेकर घाटशिला में जुटेंगे

जमशेदपुर: राज्यभर के झारखंड आंदोलनकारी सामाजिक सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों के मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं. इसी मुद्दे को लेकर ‘झारखंड आंदोलनकारी सेनानी समन्वय आह्वान’ ने 22 नवंबर को बाबा तिलका माझी क्लब, फुलडुंगरी, घाटशिला में एक बैठक बुलाया गया है. आयोजन समिति के प्रो. श्याम मुर्मू, संतोष सोरेन, आदित्य प्रधान, सुराई बास्के व अजीत तिर्की ने संयुक्त रूप से बताया कि वर्तमान सामाजिक सुरक्षा नीति सीमित होने के कारण हजारों आंदोलनकारी विशेषकर वे जो जेल नहीं गये थे, पर आंदोलन में उनका सक्रिय भूमिका रहा है. लेकिन वे आज भी पेंशन, स्वास्थ्य सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन से वंचित है. इस स्थिति में अब एक मजबूत संयुक्त मंच की आवश्यकता महसूस की जा रही है. ताकि आंदोलन मजबूती के साथ अपनी मांगों को सरकार के सामने रख सके. उन्होंने सभी आंदोलनकारियों से अपील किया है कि वे उक्त बैठक में आवश्यक रूप से भाग ले.   ये हैं प्रमुख मांगें -सभी आंदोलनकारियों को समान सामाजिक सुरक्षा एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाये -पेंशन में उचित वृद्धि तथा नियमित भुगतान किया जाये -आंदोलनकारियों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान की जाये -आंदोलनकारियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दिया जाये -झारखंड आंदोलनकारी संग्रहालय सह स्मारक का निर्माण कराया जाये -झारखंड आंदोलनकारी आयोग का पुनर्गठन किया जाये

सरकार आपके द्वार के पहले दिन 11 पंचायत एवं 3 नगर निकाय में शिविर का आयोजन

जमशेदपुर: राज्य सरकार के दिशा-निर्देशानुसार जिला अंतर्गत 11 पंचायत तथा जेएनएसी, जुगसलाई नगरपालिका एवं मानगो नगर निगम क्षेत्र में 'सेवा का अधिकार सप्ताह' के तहत आज शिविर का आयोजन किया गया । शिविरों में बड़ी संख्या में जिलेवासियों की भागीदारी रही। माननीय विधायकगण श्री समीर मोहंती, श्री मंगल कालिंदी, श्री संजीव सरदार ने भी शिविर में शामिल होकर विभिन्न योजनाओं के लाभुकों के बीच परिसंपत्ति का वितरण किया तथा नागरिकों से अपील किया कि अधिकाधिक संख्या में पंचायत स्तरीय शिविर में शामिल होकर सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठायें।    प्रखंडों के वरीय प्रभारी व विभागीय पदाधिकारी कैंप में हों शामिल: उपायुक्त   पहले दिन के शिविर समापन उपरांत उपायुक्त श्री कर्ण सत्यार्थी ने सभी प्रखंडों के वरीय पदाधिकारी तथा बीडीओ-सीओ के साथ वर्चुअल बैठक कर शिविर की समीक्षा की । उन्होने स्पष्ट निर्देश दिया राज्य सरकार की भावना के अनुरूप राईट टू सर्विस अंतर्गत चिन्हित सभी सेवाओं से संबंधित प्राप्त आवेदनों का समयबद्ध निष्पादन सुनिश्चित करें। प्रत्येक पात्र नागरिक को उसका वांछित लाभ मिले । उन्होंने जिला स्तरीय पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रतिदिन किसी एक कैम्प में शामिल जरूर हों।    ग्रामीण क्षेत्र से 2037, शहरी नागरिकों से 202 आवेदन प्राप्त हुए  पंचायत एवं नगर निकायों में लगाए गए शिविर के माध्यम से जाति प्रमाण पत्र, स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, नया राशन कार्ड, दाखिल–खारिज मामलों का निष्पादन, भूमि की मापी (Measurement of Land), भूमि धारण प्रमाण पत्र, झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2011 से जुड़ी अन्य सेवाएं, दिव्यांग पेंशन, वृद्धा पेंशन समेत सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं से जुड़े कुल 2239 आवेदन मिले जिसमें सभी 11 प्रखंडों से 2037 और नगर निकाय से 202 आवेदन शामिल हैं। आज के शिविर में दिव्यांग पेंशन के 1, भूमि की मापी के 2, मृत्यु प्रमाण पत्र के 2, भूमि धारण प्रमाण पत्र 3, दाखिल खारिज वादों का निष्पादन 8, विधवा पेंशन 10, जन्म प्रमाण पत्र 11, आय प्रमाण पत्र 53, स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र 53, नया राशन कार्ड के 62, जाति प्रमाण पत्र के 78, झारखंड राज्य सेवा देने की गारंटी अधिनियम 2011 से जुड़ी अन्य सेवाएं के 124 आवेदन, वृद्धा पेंशन के 167 तथा लोक कल्याणकारी योजनाओं के 1665 योजनाएं शामिल है।

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स्टेट हैंडलूम एक्सपो में पारंपरिक हुनर का अद्भुत संगम, 125 स्टॉल बना आकर्षण का केंद्र

JAMSHEDPUR : बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में झारक्राफ्ट द्वारा आयोजित स्टेट हैंडलूम एक्सपो–2025 में प्रदेशभर के बुनकरों, कारीगरों और हस्तशिल्प इकाइयों ने अपनी अनूठी कला का प्रदर्शन किया है। 1 से 14 दिसंबर तक आयोजित इस एक्सपो में विभिन्न हैंडलूम उत्पादों के बीच S.K. Handloom Jharkhand (Stall 125) विशेष आकर्षण बना हुआ है। S.K. Handloom Jharkhand द्वारा प्रदर्शित उत्पाद झारखंड के पारंपरिक बुनाई कौशल और कारीगरों की सूक्ष्म कलात्मकता को दर्शाते हैं। इचाक, हजारीबाग के बुनकरों द्वारा तैयार किए गए हैंडलूम वस्त्र न केवल स्थानीय विरासत को जीवंत रखते हैं, बल्कि ग्रामीण कारीगरों की आजीविका को भी मजबूती प्रदान करते हैं। विशेष आकर्षण ₹600 से ₹5,000 तक की विस्तृत रेंज में उपलब्ध उत्पाद पारंपरिक और आधुनिक डिजाइन का सुंदर मिश्रण झारखंडी बुनाई शैली की असल प्रतिबिंबित हस्तकृतियाँ कारीगरों द्वारा तैयार शुद्ध, टिकाऊ और हस्तनिर्मित कपड़े महिलाओं और ग्रामीण कारीगरों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाली पहल डिजिटल भुगतान सुविधा से लैस स्टॉल, जिससे खरीदारी और भी आसान स्टॉल 125 पर बड़ी संख्या में आगंतुक पहुँच कर हैंडलूम उत्पादों को सराह रहे हैं। स्थानीय निवासियों और आगंतुकों ने झारखंडी कारीगरी की विशिष्ट सुंदरता और गुणवत्ता की सराहना करते हुए इसे पारंपरिक विरासत को संरक्षित रखने का महत्वपूर्ण प्रयास बताया।झारक्राफ्ट द्वारा बताया गया कि एक्सपो का उद्देश्य कारीगरों को प्रत्यक्ष बाजार उपलब्ध कराना, उनके उत्पादों का प्रचार करना तथा उपभोक्ताओं को राज्य के समृद्ध हैंडलूम और हस्तशिल्प से जोड़ना है।

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रांची: टाटा स्टील लिमिटेड ने खान सुरक्षा महानिदेशालय (डीजीएमएस) के तत्वावधान में ‘आज में बदलाव, कल की नई परिभाषा’ थीम पर आधारित ‘वूमन इन माइनिंग’ कॉन्क्लेव का आयोजन चाणक्य बीएनआर, गोसाईंटोला रांची में किया। इस कार्यक्रम में नियामक प्राधिकरणों, खनन क्षेत्र के दिग्गजों और महिला खनन पेशेवरों ने भाग लिया, ताकि खनन उद्योग में बढ़ती महिला भागीदारी और इसके बदलते परिदृश्य पर विचार-विमर्श किया जा सके। यह सम्मेलन हाल ही में हुए श्रम कानून सुधारों के बाद एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। ‘व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तों की संहिता’ के तहत अब महिलाओं को भूमिगत और ओपनकास्ट माइंस में काम करने की अनुमति मिल गई है। यह सुधार देशभर की खनन कंपनियों के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ है और इससे लैंगिक विविधता को बढ़ावा देने तथा महिलाओं को परिचालन भूमिकाओं में शामिल करने के प्रयास तेज हुए हैं। दिनभर चले इस कार्यक्रम की शुरुआत पंजीकरण और नेटवर्किंग से हुई, जिसके बाद औपचारिक उद्घाटन सत्र आयोजित हुआ। इस अवसर पर डीजीएमएस, टाटा स्टील और खनन उद्योग के प्रमुख गणमान्य वक्ताओं ने संबोधित किया।    महिला पेशेवरों ने अनुभव व सफलता की कहानी को साझा किया उद्योग जगत की प्रस्तुतियों में टाटा स्टील, एलएंडटी, कोल इंडिया, हिंदुस्तान जिंक, एनटीपीसी, सिंगरेनी कोलियरीज, लॉयड्स मेटल्स और जेएसडब्ल्यू स्टील जैसी प्रमुख कंपनियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों को प्रदर्शित किया गया। महिला पेशेवरों ने भी अपने अनुभव और सफलता की कहानियां साझा की। इस अवसर पर एक विशेष सम्मान समारोह भी आयोजित हुआ, जिसमें महिला टीमों और प्रस्तुतकर्ताओं को उनके योगदान और उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। टाटा स्टील, एचजेडएल, एससीसीएल और डीजीएमएस की वरिष्ठ महिला नेतृत्वकर्ताओं द्वारा संचालित पैनल चर्चा का केंद्र बिंदु लैंगिक विविधता को मजबूत करने, महिलाओं में नेतृत्व को बढ़ावा देने, कर्मचारी प्रतिधारण सुधारने तथा समावेशी और सुरक्षित कार्यस्थल विकसित करने की रणनीतियां रहीं।   सम्मेलन में उभरते विषयों पर चर्चा किया सम्मेलन में कई समकालीन और उभरते विषयों पर चर्चा की गई, जिनमें लैंगिक रूप से समावेशी खनन नीतियां, खनन में महिलाओं की नेतृत्व भूमिकाएं, भविष्य के कार्यबल के लिए पुनः कौशल विकास, सुरक्षित और समावेशी कार्यस्थल, परिधीय एवं संबद्ध भूमिकाओं में महिलाएँ, जनजातीय और ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी, बहु-हितधारक साझेदारियाँ, तथा युवा महिलाओं द्वारा रूढ़िवादिता तोड़कर खनन में करियर चुनने जैसे विषय शामिल थे। लीडर्स ने जोर देकर कहा कि खनन क्षेत्र में अधिक महिलाओं और विविध लैंगिक समूहों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक सक्षम, सुरक्षित और प्रोत्साहनकारी पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण अनिवार्य है। टाटा स्टील ने भी समावेशी, न्यायसंगत और भविष्य-उन्मुख खनन संचालन को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।  सम्मेलन का समापन एक खुले सत्र और समापन संबोधन के साथ हुआ, जिसमें नियामकों, उद्योग और समुदाय के हितधारकों के बीच निरंतर सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया, ताकि लैंगिक रूप से समावेशी खनन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा सके। यह आयोजन महिलाओं को सशक्त बनाकर, समानता को बढ़ावा देकर और सभी स्तरों पर नेतृत्व को प्रोत्साहित करते हुए खनन के भविष्य को नई दिशा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।

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