HEALTH IS WEALTH : स्वस्थ रहने की शुरुआत हमेशा हमारे खाने की आदतों से होती है। संतुलित आहार यानी ऐसा भोजन जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और फाइबर सभी समान रूप से शामिल हों। हमारे शरीर को सही ढंग से काम करने के लिए जरूरी पोषक तत्व चाहिए होते हैं, जो एक संतुलित भोजन से ही मिल पाते हैं। दैनिक भोजन में ताज़ी सब्जियां, साबुत अनाज, दालें, दही, मौसमी फल और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना बेहद जरूरी है। फास्ट फूड, तली हुई चीजें और ज्यादा मीठा शरीर की प्राकृतिक लय को बिगाड़ देते हैं और मोटापा, डायबिटीज व अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं। दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी इसी आहार व्यवस्था का हिस्सा है। शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने और पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में पानी की भूमिका अहम है। खान-पान का सही समय भी उतना ही जरूरी है-नाश्ता पौष्टिक, दोपहर का भोजन संतुलित और रात का खाना हल्का होना चाहिए। इन छोटे-छोटे बदलावों को अपनाने से शरीर ऊर्जा से भर जाता है और लंबे समय तक फिट रहने में मदद मिलती है।
नियमित व्यायाम: स्वस्थ शरीर की मूल कुंजी
जिस तरह भोजन शरीर की ऊर्जा का स्रोत है, वैसे ही व्यायाम शरीर को सक्रिय और सशक्त बनाता है। व्यायाम का मतलब सिर्फ जिम जाना नहीं है। रोज़ 30–40 मिनट की हल्की वॉक, योग, प्राणायाम, दौड़ना, साइकिलिंग, नृत्य या कोई भी शारीरिक गतिविधि शरीर को लचीला और मजबूत बनाती है। व्यायाम करने से रक्त संचार बेहतर होता है, हड्डियां मजबूत होती हैं और मांसपेशियों को सक्रियता मिलती है। साथ ही यह तनाव कम करने और मन को शांत रखने में भी सहायक है।
आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग घंटों मोबाइल और कंप्यूटर पर काम करते रहते हैं। ऐसे में शरीर को हर घंटे एक-दो मिनट खिंचाव देना और थोड़ी देर चलना बहुत जरूरी है। व्यायाम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों—जैसे हार्ट डिजीज, हाई बीपी, सुगर, मोटापा और जोड़ दर्द—का खतरा कम कर देता है। नियमित व्यायाम न केवल शरीर बल्कि दिमाग को भी सक्रिय, तेज और संतुलित रखता है।
मानसिक स्वास्थ्य: मन को शांत रखना भी उतना ही जरूरी
अक्सर लोग शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि मन स्वस्थ रहेगा तभी जीवन खुशहाल और संतुलित बनेगा। तनाव, चिंता और अनिद्रा आज की आम समस्याएं हैं। इनसे बचने के लिए मन को शांत रखने की आदतें जरूरी हैं। रोज़ कुछ समय ध्यान (Meditation), गहरी साँसों के अभ्यास और मानसिक विश्राम के लिए देना चाहिए। सकारात्मक सोच अपनाना, परिवार के साथ समय बिताना, अपनी पसंद का संगीत सुनना या शौक पूरा करना मानसिक स्वास्थ्य को मज़बूत करता है। इसके अलावा, नींद का पूरा होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। वयस्कों को प्रतिदिन 7–8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। नींद पूरी न होने से चिड़चिड़ापन, थकान और एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। मन को शांत रखने का एक बड़ा तरीका यह भी है कि नकारात्मक लोगों या वातावरण से दूरी बनाई जाए और अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाया जाए।
मानसिक संतुलन और खुशी स्वस्थ जीवन के बुनियादी स्तंभ हैं।
स्वस्थ आदतें और दिनचर्या: छोटी सावधानियाँ, बड़े फायदे
सेहत सिर्फ खाने, दौड़ने या ध्यान लगाने से ही नहीं बनती, बल्कि हमारी दैनिक दिनचर्या से भी काफी प्रभावित होती है। सही समय पर उठना, सही समय पर भोजन करना और नियमित सोना-सोना एक स्वस्थ जीवनशैली की नींव है। धूम्रपान और शराब जैसी आदतें शरीर को धीरे-धीरे कमजोर कर देती हैं। इनसे दूरी बनाना जरूरी है। अपने काम और आराम के बीच संतुलन बनाना भी जरूरी है। लगातार काम करने से शरीर और मन दोनों थक जाते हैं। इसलिए थोड़े-थोड़े अंतराल पर विश्राम लेना चाहिए। स्वच्छता का ध्यान रखना—जैसे नियमित हाथ धोना, साफ पानी पीना, साफ-सुथरा माहौल रखना—बीमारियों से बचाने में मदद करता है। नियमित स्वास्थ्य जांच (Check-up) भी जरूरी है ताकि किसी बीमारी के लक्षण समय रहते पहचान में आ सकें। हर दिन खुद के लिए कुछ समय निकालना, चाहे वह किताब पढ़ने में हो या सुबह की धूप लेने में, जीवन में सकारात्मकता भर देता है।
झारखंड के कई जिलों में पिछुआ हवाओं के कारण ठंड में तेज बढ़ोतरी हुई है, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के अनुसार, पिछुआ हवाएं उत्तर से उत्तर-पश्चिम दिशा से चल रही हैं, जिनके कारण न्यूनतम तापमान में लगभग चार डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है। राजधानी रांची सहित आसपास के क्षेत्रों में सुबह का तापमान करीब 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास है, जिससे सुबह के समय काफी ठंडक बढ़ गई है। इस वर्ष सर्दी ने अपनी दस्तक समय से पहले दे दी है, क्योंकि मौसम विभाग ने पहले ही नवंबर के अंत से ठंड बढ़ने की चेतावनी दी थी। रातों में तापमान करीब 9 डिग्री तक गिर जाता है, जिससे पूरे क्षेत्र में ठंड का असर महसूस किया जा रहा है। राज्य के अधिकांश जिलों में मंगलवार को मौसम साफ और शुष्क रहा और मध्यम तेजी से हवा चली, जिससे ठंडी हवा का अनुभव हुआ। पिछले 24 घंटों में गोड्डा जिले में अधिकतम तापमान 28.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि गुमला में न्यूनतम तापमान 8.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ। रांची में अधिकतम तापमान 24.6 और न्यूनतम 11.1 डिग्री सेल्सियस रहा। कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को सलाह दी है कि इस ठंड में फसलों की सुरक्षा के लिए सिंचाई का विशेष ख्याल रखा जाए ताकि वे प्रभावित न हों। मौसम विभाग ने सूचना दी है कि बंगाल की खाड़ी में दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जिससे चक्रवात बनने की संभावना है। यह चक्रवात झारखंड सहित आसपास के क्षेत्रों के मौसम पर असर डाल सकता है। इस कारण अगले दो दिनों में तापमान में और गिरावट आने की संभावना है और बारिश या तेज हवाओं के चलते खेल आयोजन प्रभावित हो सकता है।राजधानी रांची सहित अन्य जिलों में पछुआ हवाओं के कारण कनकनी बढ़ गई है, जिससे सुबह और शाम की ठंड अधिक महसूस होती है।
Adivasi food: झारखंड के रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम जैसे जिलों में पाई जाने वाली यह परंपरा संथाल, हो, ओरांव और मुंडा जैसे आदिवासी समुदायों की सदियों पुरानी जीवनशैली का अहम हिस्सा रही है। जंगलों से गहरा रिश्ता रखने वाले ये समुदाय प्राकृतिक संसाधनों को भोजन और औषधि के रूप में उपयोग करते आए हैं। सर्दियों के मौसम में यह पारंपरिक खाद्य पदार्थ पारिवारिक भोज का विशेष हिस्सा बन जाता है और इसे प्यार से “जंगल का तोहफा” कहा जाता है। यह सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान और संतुलित जीवनशैली का प्रतीक भी है। ओडिशा में इसे भौगोलिक संकेत (GI Tag) मिल चुका है, जिससे इसकी विशिष्टता और पारंपरिक महत्व को आधिकारिक मान्यता मिलती है। सेहत का प्राकृतिक कवच: ठंड से लेकर इम्युनिटी तक सर्दियों में इसका सेवन शरीर को अंदर से गर्म रखता है और ठंड व सर्दी-जुकाम से बचाव में सहायक माना जाता है। यह भूख बढ़ाने में भी मदद करती है, जिससे शरीर को भरपूर पोषण मिलता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह प्राकृतिक इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है। इसके नियमित सेवन से हड्डियाँ और मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, जिससे शारीरिक कमजोरी दूर होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे पारंपरिक घरेलू औषधि के रूप में भी अपनाया जाता है, खासकर बदलते मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए। रोगों से लड़ने में सहायक और बढ़ती लोकप्रियता आदिवासी समाज में यह धारणा प्रचलित है कि यह प्राकृतिक खाद्य पदार्थ कई तरह की बीमारियों में राहत पहुँचा सकता है। कोरोना, मलेरिया, पीलिया, बुखार, एनीमिया, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग और यहाँ तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में इसे सहायक माना जाता है। परंपरागत विश्वासों के अनुसार, चींटियों के काटने से होने वाले बुखार में भी यह लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, वजन बढ़ाने, पाचन तंत्र को मजबूत करने और शरीर को डिटॉक्स करने में इसकी भूमिका बताई जाती है। आजकल शहरी क्षेत्रों में भी लोग इसे स्वास्थ्यवर्धक सुपरफूड के रूप में अपनाने लगे हैं, जिससे यह ग्रामीण और आदिवासी सीमाओं से बाहर निकलकर व्यापक पहचान बना रहा है।
जमशेदपुर: बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में बुधवार को रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव का समापन हुआ. इस पांच दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन शाम को नागपुरी, संताली और जनजातीय लोकगीतों की गूंज के साथ पूरा मैदान झूम उठा. देश के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों ने अपने लोक संगीत और नृत्य से जनजातीय संस्कृति की विविधता का परिचय कराया. नागपुरी गायक अर्जुन लकड़ा और गायिका गरिमा एक्का ने संवाद अखड़ा मंच को संभाला. जैसे ही अर्जुन लकड़ा संवाद अखड़ा मंच पर पहुंचे, युवाओं में उत्साह की लहर दौड़ गयी. दर्शकों ने उनकी पसंदीदा गीतों की फरमाइश शुरू कर दी. लकड़ा ने अपने ट्रेडिंग गीतों की प्रस्तुति देकर माहौल को जोश से भर दिया. उनका गायकी का अंदाज और स्टेज कवरिंग शैली दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर रही थी. इसके बाद संताली गायिका कल्पना हांसदा ने अपनी मधुर आवाज में पारंपरिक व मॉडर्न गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीत लिया. उनके गीतों की धुन पर युवाओं ने मैदान में समूह बनाकर नृत्य किया. रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजे युवाओं ने एक-दूसरे का हाथ थाम लोकनृत्य की लय पर झूमकर ट्राइबल संस्कृति की जीवंत छटा बिखेर दी. जनजातीय संगीत पर मंत्रमुग्ध हुए दर्शक कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग और युवा उपस्थित थे. हर गीत, हर प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही. युवाओं ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाकर इस सांस्कृतिक माहौल को कैद किया. सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि मेघालय, सिक्किम, नागालैंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से आये कलाकारों ने भी अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन कर खूब वाहवाही बटोरी. संवाद अखड़ा के मंच पर इन कलाकारों ने लोकनृत्य, पुनर्जीवित रिवाजों और जनजातीय संगीत के सुरों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम समापन की यह शाम सांस्कृतिक विविधता का उत्सव बना. लौहनगरी जमशेदपुर की धरती पर कलाकारों ने एकता और कला के नये रंग भी बिखेरा. स्टॉलों से एक करोड़ से अधिकार का हुआ कारोबार संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में जनजातीय व्यंजनों के स्टॉल समेत कला और हस्तशिल्प व पारंपरिक उपचार के स्टॉल्स के कई स्टॉल भी लगाये थे. जहां शहर समेत कोल्हान के विभिन्न जगहों से आये लोगों ने जमकर खरीदारी भी की. टीएसएफ के रिपोर्ट के मुताबिक इसबार संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में एक करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ है. इससे यह बात साबित होती है कि जनजातीय समाज की वस्तुएं अब ब्रांड बन चुकी हैं. जिसे आदिवासी ही नहीं अन्य समाज व समुदाय के लोग भी खूब पसंद कर रहे हैं. संवाद फेलोशिप के लिए नौ फेलो का किया चयन टाटा स्टील फाउंडेशन ने संवाद फेलोशिप 2025 के लिए 9 फेलो के चयन की भी घोषणा की. इनका चयन 572 आवेदनों में से किया गया, जो 25 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 122 जनजातियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. जिनमें विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों से 10 आवेदक शामिल थे. फाउंडेशन ने पिछली कई फेलोशिप परियोजनाओं के पूरा होने का भी जश्न मनाया.
FILM FESTIVAL: श्रीनाथ यूनिवर्सिटी के प्रेक्षागृह में सोमवार को झारखंड राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव – 2025 (छठा संस्करण) का शुभारंभ बेहद गरिमामय और उत्साहपूर्ण वातावरण में हुआ। फ़िल्म और कला जगत से जुड़े अनेक गणमान्यों की उपस्थिति ने उद्घाटन समारोह को खास बना दिया। मुख्य अतिथि के रूप में आदित्यपुर नगर निगम की उपनगर आयुक्त परुल सिंह तथा सह मुख्य अतिथि के रूप में श्रीनाथ यूनिवर्सिटी के कुलपति सुखदेव महतो ने समारोह की शोभा बढ़ाई। विशिष्ट सम्मानित अतिथियों में डॉ. जे.एन. दास,डॉ ज्योति सिंह, पूरबी घोष, पवन कुमार साव, चंचल भाटिया, नेहा तिवार, ज्योति सेनापति, पूर्व वार्ड पार्षद नीतू शर्मा शामिल रहे। समारोह की शुरुआत परिचय और स्वागत के साथ हुई। तत्पश्चात अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का उद्घाटन किया। इसके बाद सांस्कृतिक टीम द्वारा प्रस्तुत आकर्षक स्वागत नृत्य ने मंच का माहौल जीवंत कर दिया। JNFF के संस्थापक संजय सतपथी और राजू मित्रा ने स्वागत भाषण में महोत्सव की यात्रा, उद्देश्य और झारखंड में फ़िल्म संस्कृति के विस्तार पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथियों एवं विशिष्ट अतिथियों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। सभी मान्यवरों ने अपने प्रेरक संबोधन से कार्यक्रम की गरिमा को नई ऊँचाई दी। मंचीय कार्यक्रम के दौरान लोकप्रिय शॉर्ट फ़िल्म “Silk Coffin” की विशेष स्क्रीनिंग की गई, जिसे दर्शकों ने विशेष प्रशंसा दी। महोत्सव को सफल बनाने में संस्थापकों के साथ-साथ क्रिएटिव डायरेक्टर शिवांगी सिंह,डॉ. शालिनी प्रसाद का रचनात्मक नेतृत्व अत्यंत प्रभावी रहा। झारखंड राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव 08 से 13 दिसंबर तक आयोजित होगा। 09 से 12 दिसंबर तक विभिन्न श्रेणियों की फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा, जबकि 13 दिसंबर को समापन एवं पुरस्कार समारोह (Award Night) XLRI, जमशेदपुर में होगा।
जमशेदपुर: राज्यभर के झारखंड आंदोलनकारी सामाजिक सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों के मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं. इसी मुद्दे को लेकर ‘झारखंड आंदोलनकारी सेनानी समन्वय आह्वान’ ने 22 नवंबर को बाबा तिलका माझी क्लब, फुलडुंगरी, घाटशिला में एक बैठक बुलाया गया है. आयोजन समिति के प्रो. श्याम मुर्मू, संतोष सोरेन, आदित्य प्रधान, सुराई बास्के व अजीत तिर्की ने संयुक्त रूप से बताया कि वर्तमान सामाजिक सुरक्षा नीति सीमित होने के कारण हजारों आंदोलनकारी विशेषकर वे जो जेल नहीं गये थे, पर आंदोलन में उनका सक्रिय भूमिका रहा है. लेकिन वे आज भी पेंशन, स्वास्थ्य सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन से वंचित है. इस स्थिति में अब एक मजबूत संयुक्त मंच की आवश्यकता महसूस की जा रही है. ताकि आंदोलन मजबूती के साथ अपनी मांगों को सरकार के सामने रख सके. उन्होंने सभी आंदोलनकारियों से अपील किया है कि वे उक्त बैठक में आवश्यक रूप से भाग ले. ये हैं प्रमुख मांगें -सभी आंदोलनकारियों को समान सामाजिक सुरक्षा एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाये -पेंशन में उचित वृद्धि तथा नियमित भुगतान किया जाये -आंदोलनकारियों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान की जाये -आंदोलनकारियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दिया जाये -झारखंड आंदोलनकारी संग्रहालय सह स्मारक का निर्माण कराया जाये -झारखंड आंदोलनकारी आयोग का पुनर्गठन किया जाये
HEALTH IS WEALTH : स्वस्थ रहने की शुरुआत हमेशा हमारे खाने की आदतों से होती है। संतुलित आहार यानी ऐसा भोजन जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और फाइबर सभी समान रूप से शामिल हों। हमारे शरीर को सही ढंग से काम करने के लिए जरूरी पोषक तत्व चाहिए होते हैं, जो एक संतुलित भोजन से ही मिल पाते हैं। दैनिक भोजन में ताज़ी सब्जियां, साबुत अनाज, दालें, दही, मौसमी फल और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना बेहद जरूरी है। फास्ट फूड, तली हुई चीजें और ज्यादा मीठा शरीर की प्राकृतिक लय को बिगाड़ देते हैं और मोटापा, डायबिटीज व अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं। दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी इसी आहार व्यवस्था का हिस्सा है। शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने और पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में पानी की भूमिका अहम है। खान-पान का सही समय भी उतना ही जरूरी है-नाश्ता पौष्टिक, दोपहर का भोजन संतुलित और रात का खाना हल्का होना चाहिए। इन छोटे-छोटे बदलावों को अपनाने से शरीर ऊर्जा से भर जाता है और लंबे समय तक फिट रहने में मदद मिलती है। नियमित व्यायाम: स्वस्थ शरीर की मूल कुंजी जिस तरह भोजन शरीर की ऊर्जा का स्रोत है, वैसे ही व्यायाम शरीर को सक्रिय और सशक्त बनाता है। व्यायाम का मतलब सिर्फ जिम जाना नहीं है। रोज़ 30–40 मिनट की हल्की वॉक, योग, प्राणायाम, दौड़ना, साइकिलिंग, नृत्य या कोई भी शारीरिक गतिविधि शरीर को लचीला और मजबूत बनाती है। व्यायाम करने से रक्त संचार बेहतर होता है, हड्डियां मजबूत होती हैं और मांसपेशियों को सक्रियता मिलती है। साथ ही यह तनाव कम करने और मन को शांत रखने में भी सहायक है। आज की व्यस्त जीवनशैली में लोग घंटों मोबाइल और कंप्यूटर पर काम करते रहते हैं। ऐसे में शरीर को हर घंटे एक-दो मिनट खिंचाव देना और थोड़ी देर चलना बहुत जरूरी है। व्यायाम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों—जैसे हार्ट डिजीज, हाई बीपी, सुगर, मोटापा और जोड़ दर्द—का खतरा कम कर देता है। नियमित व्यायाम न केवल शरीर बल्कि दिमाग को भी सक्रिय, तेज और संतुलित रखता है। मानसिक स्वास्थ्य: मन को शांत रखना भी उतना ही जरूरी अक्सर लोग शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि मन स्वस्थ रहेगा तभी जीवन खुशहाल और संतुलित बनेगा। तनाव, चिंता और अनिद्रा आज की आम समस्याएं हैं। इनसे बचने के लिए मन को शांत रखने की आदतें जरूरी हैं। रोज़ कुछ समय ध्यान (Meditation), गहरी साँसों के अभ्यास और मानसिक विश्राम के लिए देना चाहिए। सकारात्मक सोच अपनाना, परिवार के साथ समय बिताना, अपनी पसंद का संगीत सुनना या शौक पूरा करना मानसिक स्वास्थ्य को मज़बूत करता है। इसके अलावा, नींद का पूरा होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। वयस्कों को प्रतिदिन 7–8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। नींद पूरी न होने से चिड़चिड़ापन, थकान और एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। मन को शांत रखने का एक बड़ा तरीका यह भी है कि नकारात्मक लोगों या वातावरण से दूरी बनाई जाए और अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाया जाए। मानसिक संतुलन और खुशी स्वस्थ जीवन के बुनियादी स्तंभ हैं। स्वस्थ आदतें और दिनचर्या: छोटी सावधानियाँ, बड़े फायदे सेहत सिर्फ खाने, दौड़ने या ध्यान लगाने से ही नहीं बनती, बल्कि हमारी दैनिक दिनचर्या से भी काफी प्रभावित होती है। सही समय पर उठना, सही समय पर भोजन करना और नियमित सोना-सोना एक स्वस्थ जीवनशैली की नींव है। धूम्रपान और शराब जैसी आदतें शरीर को धीरे-धीरे कमजोर कर देती हैं। इनसे दूरी बनाना जरूरी है। अपने काम और आराम के बीच संतुलन बनाना भी जरूरी है। लगातार काम करने से शरीर और मन दोनों थक जाते हैं। इसलिए थोड़े-थोड़े अंतराल पर विश्राम लेना चाहिए। स्वच्छता का ध्यान रखना—जैसे नियमित हाथ धोना, साफ पानी पीना, साफ-सुथरा माहौल रखना—बीमारियों से बचाने में मदद करता है। नियमित स्वास्थ्य जांच (Check-up) भी जरूरी है ताकि किसी बीमारी के लक्षण समय रहते पहचान में आ सकें। हर दिन खुद के लिए कुछ समय निकालना, चाहे वह किताब पढ़ने में हो या सुबह की धूप लेने में, जीवन में सकारात्मकता भर देता है।
WINTER:सर्दियों में ठंड से बचने के लिए सबसे पहले सही तरीके से गर्म कपड़े पहनना आवश्यक है। शरीर को ठंडा होने से रोकने के लिए लेयरिंग यानी कई पतले कपड़े पहनना फायदेमंद होता है क्योंकि इससे शरीर की गर्माहट बनी रहती है। हाथ, पैर, सिर और गर्दन को खास तरह से ढकना चाहिए, जैसे टोपी, दस्ताने और स्कार्फ का प्रयोग करना, जिससे वे ठंड से सुरक्षित रहें। इसके अलावा घर को अच्छी तरह से गर्म रखना भी जरूरी है। खिड़कियों और दरवाजों पर ड्राफ्ट स्टॉपर लगाना और पर्दे बंद रखना ठंडी हवा के प्रवेश को रोकता है। रोजाना व्यायाम करना, खासकर पैदल चलना, शरीर की गर्माहट बढ़ाता है और रक्त संचार को बेहतर बनाता है, जिससे ठंड कम लगती है। स्वस्थ आहार से सुरक्षा ठंड से बचाव के लिए ताजी और पौष्टिक सब्जियां और फल खाएं, जिनमें विटामिन्स और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। अदरक, हल्दी, दालचीनी जैसे मसालों वाले भोज्य पदार्थ सर्दियों में शरीर को अंदर से गर्माहट देते हैं। हल्दी वाला दूध या अदरक की चाय पीने से सर्दी-खांसी से बचा जा सकता है। सूप और गरम भोजन का सेवन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और ठंड से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। ठंडे पानी और खाना खाने से बचना चाहिए क्योंकि ये शरीर को ठंडा कर सकते हैं। साथ ही, पर्याप्त नींद लेना और ज्यादा थकान से बचना भी जरूरी है ताकि शरीर सर्दी के मौसम में स्वस्थ और मजबूत रहे।