मनोरंजन

ओलो: में बाबू को मिला बेस्ट शॉर्ट फिल्म ऑफ द ईयर का पुरस्कार

यहां के सिने कलाकार काफी मेहनती व फिल्म की बारीकी को गहराई समझते हैं: राहुल राय

Khoboriya दिसम्बर 14, 2025 0

JNFF FILM FESTIVAL : जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित एक्सएलआरआई ऑडिटोरियम में शनिवार को झारखंड नेशनल फिल्म फेस्टिवल (जेएनएफएफ-2025) का रंगारंग समापन समारोह आयोजित किया गया. सतरंगी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, तालियों की गूंज और फिल्मी चमक के बीच पुरस्कार वितरण के साथ समापन हुआ. सिने महोत्सव में बॉलीवुड के अभिनेता और आशिकी फेम राहुल राय की विशेष मौजूदगी, जिन्होंने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया. राहुल राय ने नेशनल, इंटरनेशनल, नेशनल म्यूजिक वीडियो, नेशनल शॉर्ट फिल्म, डॉक्यूमेंट्री, झारखंड शॉर्ट फिल्म और झारखंड म्यूजिक वीडियो एलबम सहित विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं को अपने हाथों से सम्मानित किया. इस अवसर पर उन्होंने जमशेदपुर की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह शहर केवल टाटा स्टील के कारण ही नहीं, बल्कि कलाकारों की प्रतिभा के कारण भी देश-दुनिया में पहचान बना चुका है. उन्होंने कहा कि यहां के कलाकार मेहनती हैं, सिनेमा की बारीकियों को गहराई से समझते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं. राहुल राय ने झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह राज्य फिल्मों के लिए एक खजाना है. जरूरत है तो बस इसकी खूबसूरती को कैमरे की नजर से कैद कर दुनिया के सामने पेश करने की. उन्होंने स्थानीय निर्माता-निर्देशकों से कहा कि वे बॉलीवुड की तर्ज पर यहां फिल्म निर्माण को बढ़ावा दें.

 

नागपुरी गायक नीतेश कच्छप ने अपने गीतों से मचाया धमाल

नागपुरी गायक नीतेश कच्छप ने अपने जोशीले और लोकप्रिय गीतों से कार्यक्रम में जबरदस्त धमाल मचा दिया. जैसे ही वे मंच पर आये, युवाओं में उत्साह की लहर दौड़ गयी. उनके हर गीत पर दर्शक नाचते व झूमते रहे. नागपुरी धुनों और लोक रंग की मिठास ने सभी को अपनी ओर आकर्षित किया. खासकर युवाओं ने गीतों के साथ कदम मिलाकर खूब मस्ती की.

 

ट्राइबल मॉडल्स ने पारंपरिक आउटफिट में रैंप पर किया कैटवॉक
आदिवासी पारंपरिक आउटफिट में सजे ट्राइबल मॉडल्स ने रैंप पर शानदार कैटवॉक कर दर्शकों का मन मोह लिया. पारंपरिक परिधानों की खूबसूरती, रंगों की विविधता और आदिवासी संस्कृति की झलक ने पूरे माहौल को खास बना दिया. ट्राइबल मॉडल्स ने आत्मविश्वास और आकर्षक अंदाज ग्लैमर का जबरदस्त तड़का लगाया. पारंपरिक आभूषण, सधी हुई चाल और मनमोहक मुस्कान ने प्रस्तुति को यादगार बना दिया.


इंटरनेशल केटेगरी (फीचर फिल्म, शॉर्ट फिल्म व डॉक्यूमेंट्री)

  •  बेस्ट शॉर्ट फिल्म ऑफ दी इयर- इक्कोज
  •  बेस्ट डायरेक्टर (शॉर्ट फिल्म)- अक्षय गौरी (सिस्टर माइन)
  • बेस्ट एक्टर (शॉर्ट फिल्म)- लोला मार्टिन (इक्कोज)
  • बेस्ट एक्ट्रेस (शॉर्ट फिल्म)-मरियम मेरजी(डियर तुनिसिया)
  • बेस्ट फीचर फिल्म ऑफ दी इयर-डेड मेंस स्वीच
  • बेस्ट डायरेक्टर फीचर फिल्म-टॉप डवेर व मैरी हिनसन (ऑल माय ड्यूज आर पेड)
  • बेस्ट एक्टर (फीचर फिल्म)-फ्रैंक बे (ऑल माय ड्यूज आर पेड)
  • बेस्ट एक्ट्रेस (फीचर फिल्म)-एडरियाना पैज (डेड मेंस स्वीच)
  • बेस्ट डॉक्यूमेंट्री- द कमिनो

नेशनल फीचर फिल्म केटेगरी

  • बेस्ट फिल्म ऑफ द ईयर- मां काली
  • बेस्ट डायरेक्टर-स्पर्श शर्मा (यूएनएस)
  •  बेस्ट एक्टर-मनोज शर्मा (बॉडी)
  •  बेस्ट एक्ट्रेस-राइमा सेन (मां काली)
  • बेस्ट नेगेटिव रोल- रॉय (मां काली)
  • बेस्ट एडिटर-भवानी शंकर शर्मा (यूएनएस)
  • बेस्ट सिनेमेटोग्राफी-विकास (बॉडी)
  • बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर-जयंत नाथ (वाइड एंगल)
  • बेस्ट प्लेबैक सिंगर मेल-जेबिन गर्ग (वाइड एंगल)
  • बेस्ट प्लेबैक सिंगर फीमेल- कुप्पन
  • बेस्ट जूरी मेंशन- ए रफ वर्क फिल्मस (बॉडी)

.झारखंड शॉर्ट फिल्म केटेगरी

  • बेस्ट फिल्म ऑफ द ईयर- ओलो: में बाबू
  • बेस्ट डायरेक्टर- रोहित मार्डी (ओलो: में बाबू)
  • बेस्ट एक्टर-श्याम सुंदर मुर्मू (ओलो: में बाबू)
  • बेस्ट एक्ट्रेस-खुशी टुडू (ओलो: में बाबू)
  • बेस्ट एडिटर- राकेश उरांव (सांग)
  • बेस्ट सिनेमेटोग्राफी-अनुराग (सांग)
  •  बेस्ट स्टोरी राइटर-रोहित मार्डी (ओलो: में बाबू)
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ठंड बढ़ने से झारखंड में मौसम हुआ सर्द

झारखंड के कई जिलों में पिछुआ हवाओं के कारण ठंड में तेज बढ़ोतरी हुई है, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के अनुसार, पिछुआ हवाएं उत्तर से उत्तर-पश्चिम दिशा से चल रही हैं, जिनके कारण न्यूनतम तापमान में लगभग चार डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है। राजधानी रांची सहित आसपास के क्षेत्रों में सुबह का तापमान करीब 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास है, जिससे सुबह के समय काफी ठंडक बढ़ गई है। इस वर्ष सर्दी ने अपनी दस्तक समय से पहले दे दी है, क्योंकि मौसम विभाग ने पहले ही नवंबर के अंत से ठंड बढ़ने की चेतावनी दी थी। रातों में तापमान करीब 9 डिग्री तक गिर जाता है, जिससे पूरे क्षेत्र में ठंड का असर महसूस किया जा रहा है।   राज्य के अधिकांश जिलों में मंगलवार को मौसम साफ और शुष्क रहा और मध्यम तेजी से हवा चली, जिससे ठंडी हवा का अनुभव हुआ। पिछले 24 घंटों में गोड्डा जिले में अधिकतम तापमान 28.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि गुमला में न्यूनतम तापमान 8.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड हुआ। रांची में अधिकतम तापमान 24.6 और न्यूनतम 11.1 डिग्री सेल्सियस रहा। कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को सलाह दी है कि इस ठंड में फसलों की सुरक्षा के लिए सिंचाई का विशेष ख्याल रखा जाए ताकि वे प्रभावित न हों।   मौसम विभाग ने सूचना दी है कि बंगाल की खाड़ी में दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जिससे चक्रवात बनने की संभावना है। यह चक्रवात झारखंड सहित आसपास के क्षेत्रों के मौसम पर असर डाल सकता है। इस कारण अगले दो दिनों में तापमान में और गिरावट आने की संभावना है और बारिश या तेज हवाओं के चलते खेल आयोजन प्रभावित हो सकता है।राजधानी रांची सहित अन्य जिलों में पछुआ हवाओं के कारण कनकनी बढ़ गई है, जिससे सुबह और शाम की ठंड अधिक महसूस होती है।

“जंगल का तोहफा”: झारखंड की पारंपरिक औषधीय धरोहर

Adivasi food: झारखंड के रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा और पश्चिमी सिंहभूम जैसे जिलों में पाई जाने वाली यह परंपरा संथाल, हो, ओरांव और मुंडा जैसे आदिवासी समुदायों की सदियों पुरानी जीवनशैली का अहम हिस्सा रही है। जंगलों से गहरा रिश्ता रखने वाले ये समुदाय प्राकृतिक संसाधनों को भोजन और औषधि के रूप में उपयोग करते आए हैं। सर्दियों के मौसम में यह पारंपरिक खाद्य पदार्थ पारिवारिक भोज का विशेष हिस्सा बन जाता है और इसे प्यार से “जंगल का तोहफा” कहा जाता है। यह सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान और संतुलित जीवनशैली का प्रतीक भी है। ओडिशा में इसे भौगोलिक संकेत (GI Tag) मिल चुका है, जिससे इसकी विशिष्टता और पारंपरिक महत्व को आधिकारिक मान्यता मिलती है। सेहत का प्राकृतिक कवच: ठंड से लेकर इम्युनिटी तक सर्दियों में इसका सेवन शरीर को अंदर से गर्म रखता है और ठंड व सर्दी-जुकाम से बचाव में सहायक माना जाता है। यह भूख बढ़ाने में भी मदद करती है, जिससे शरीर को भरपूर पोषण मिलता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यह प्राकृतिक इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है। इसके नियमित सेवन से हड्डियाँ और मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, जिससे शारीरिक कमजोरी दूर होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे पारंपरिक घरेलू औषधि के रूप में भी अपनाया जाता है, खासकर बदलते मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए। रोगों से लड़ने में सहायक और बढ़ती लोकप्रियता आदिवासी समाज में यह धारणा प्रचलित है कि यह प्राकृतिक खाद्य पदार्थ कई तरह की बीमारियों में राहत पहुँचा सकता है। कोरोना, मलेरिया, पीलिया, बुखार, एनीमिया, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग और यहाँ तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने में इसे सहायक माना जाता है। परंपरागत विश्वासों के अनुसार, चींटियों के काटने से होने वाले बुखार में भी यह लाभकारी हो सकता है। इसके अलावा, वजन बढ़ाने, पाचन तंत्र को मजबूत करने और शरीर को डिटॉक्स करने में इसकी भूमिका बताई जाती है। आजकल शहरी क्षेत्रों में भी लोग इसे स्वास्थ्यवर्धक सुपरफूड के रूप में अपनाने लगे हैं, जिससे यह ग्रामीण और आदिवासी सीमाओं से बाहर निकलकर व्यापक पहचान बना रहा है।

रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव का हुआ समापन

जमशेदपुर: बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में बुधवार को रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव का समापन हुआ. इस पांच दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन शाम को नागपुरी, संताली और जनजातीय लोकगीतों की गूंज के साथ पूरा मैदान झूम उठा. देश के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों ने अपने लोक संगीत और नृत्य से जनजातीय संस्कृति की विविधता का परिचय कराया. नागपुरी गायक अर्जुन लकड़ा और गायिका गरिमा एक्का ने संवाद अखड़ा मंच को संभाला. जैसे ही अर्जुन लकड़ा संवाद अखड़ा मंच पर पहुंचे, युवाओं में उत्साह की लहर दौड़ गयी. दर्शकों ने उनकी पसंदीदा गीतों की फरमाइश शुरू कर दी. लकड़ा ने अपने ट्रेडिंग गीतों की प्रस्तुति देकर माहौल को जोश से भर दिया. उनका गायकी का अंदाज और स्टेज कवरिंग शैली दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर रही थी. इसके बाद संताली गायिका कल्पना हांसदा ने अपनी मधुर आवाज में पारंपरिक व मॉडर्न गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीत लिया. उनके गीतों की धुन पर युवाओं ने मैदान में समूह बनाकर नृत्य किया. रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजे युवाओं ने एक-दूसरे का हाथ थाम लोकनृत्य की लय पर झूमकर ट्राइबल संस्कृति की जीवंत छटा बिखेर दी. जनजातीय संगीत पर मंत्रमुग्ध हुए दर्शक कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग और युवा उपस्थित थे. हर गीत, हर प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही. युवाओं ने अपने मोबाइल से वीडियो बनाकर इस सांस्कृतिक माहौल को कैद किया. सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि मेघालय, सिक्किम, नागालैंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से आये कलाकारों ने भी अपनी पारंपरिक कला का प्रदर्शन कर खूब वाहवाही बटोरी. संवाद अखड़ा के मंच पर इन कलाकारों ने लोकनृत्य, पुनर्जीवित रिवाजों और जनजातीय संगीत के सुरों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कार्यक्रम समापन की यह शाम सांस्कृतिक विविधता का उत्सव बना. लौहनगरी जमशेदपुर की धरती पर कलाकारों ने एकता और कला के नये रंग भी बिखेरा. स्टॉलों से एक करोड़ से अधिकार का हुआ कारोबार संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में जनजातीय व्यंजनों के स्टॉल समेत कला और हस्तशिल्प व पारंपरिक उपचार के स्टॉल्स के कई स्टॉल भी लगाये थे. जहां शहर समेत कोल्हान के विभिन्न जगहों से आये लोगों ने जमकर खरीदारी भी की. टीएसएफ के रिपोर्ट के मुताबिक इसबार संवाद-ए ट्राइबल कॉन्क्लेव में एक करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ है. इससे यह बात साबित होती है कि जनजातीय समाज की वस्तुएं अब ब्रांड बन चुकी हैं. जिसे आदिवासी ही नहीं अन्य समाज व समुदाय के लोग भी खूब पसंद कर रहे हैं. संवाद फेलोशिप के लिए नौ फेलो का किया चयन टाटा स्टील फाउंडेशन ने संवाद फेलोशिप 2025 के लिए 9 फेलो के चयन की भी घोषणा की. इनका चयन 572 आवेदनों में से किया गया, जो 25 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 122 जनजातियों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. जिनमें विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों से 10 आवेदक शामिल थे. फाउंडेशन ने पिछली कई फेलोशिप परियोजनाओं के पूरा होने का भी जश्न मनाया.

झारखंड राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2025 का भव्य आगाज, सांस्कृतिक रंगों संग सिनेमा का जश्न शुरू

FILM FESTIVAL: श्रीनाथ यूनिवर्सिटी के प्रेक्षागृह में सोमवार को झारखंड राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव – 2025 (छठा संस्करण) का शुभारंभ बेहद गरिमामय और उत्साहपूर्ण वातावरण में हुआ। फ़िल्म और कला जगत से जुड़े अनेक गणमान्यों की उपस्थिति ने उद्घाटन समारोह को खास बना दिया। मुख्य अतिथि के रूप में आदित्यपुर नगर निगम की उपनगर आयुक्त परुल सिंह तथा सह मुख्य अतिथि के रूप में श्रीनाथ यूनिवर्सिटी के कुलपति सुखदेव महतो ने समारोह की शोभा बढ़ाई। विशिष्ट सम्मानित अतिथियों में डॉ. जे.एन. दास,डॉ ज्योति सिंह, पूरबी घोष, पवन कुमार साव, चंचल भाटिया, नेहा तिवार, ज्योति सेनापति, पूर्व वार्ड पार्षद नीतू शर्मा शामिल रहे।   समारोह की शुरुआत परिचय और स्वागत के साथ हुई। तत्पश्चात अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का उद्घाटन किया। इसके बाद सांस्कृतिक टीम द्वारा प्रस्तुत आकर्षक स्वागत नृत्य ने मंच का माहौल जीवंत कर दिया। JNFF के संस्थापक संजय सतपथी और राजू मित्रा ने स्वागत भाषण में महोत्सव की यात्रा, उद्देश्य और झारखंड में फ़िल्म संस्कृति के विस्तार पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथियों एवं विशिष्ट अतिथियों को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। सभी मान्यवरों ने अपने प्रेरक संबोधन से कार्यक्रम की गरिमा को नई ऊँचाई दी।   मंचीय कार्यक्रम के दौरान लोकप्रिय शॉर्ट फ़िल्म “Silk Coffin” की विशेष स्क्रीनिंग की गई, जिसे दर्शकों ने विशेष प्रशंसा दी। महोत्सव को सफल बनाने में संस्थापकों के साथ-साथ क्रिएटिव डायरेक्टर शिवांगी सिंह,डॉ. शालिनी प्रसाद का रचनात्मक नेतृत्व अत्यंत प्रभावी रहा। झारखंड राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव 08 से 13 दिसंबर तक आयोजित होगा। 09 से 12 दिसंबर तक विभिन्न श्रेणियों की फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा, जबकि 13 दिसंबर को समापन एवं पुरस्कार समारोह (Award Night) XLRI, जमशेदपुर में होगा।

झारखंड आंदोलनकारी सामाजिक सुरक्षा, सम्मान व अधिकारों के मुद्दें को लेकर घाटशिला में जुटेंगे

जमशेदपुर: राज्यभर के झारखंड आंदोलनकारी सामाजिक सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों के मुद्दे पर एकजुट हो रहे हैं. इसी मुद्दे को लेकर ‘झारखंड आंदोलनकारी सेनानी समन्वय आह्वान’ ने 22 नवंबर को बाबा तिलका माझी क्लब, फुलडुंगरी, घाटशिला में एक बैठक बुलाया गया है. आयोजन समिति के प्रो. श्याम मुर्मू, संतोष सोरेन, आदित्य प्रधान, सुराई बास्के व अजीत तिर्की ने संयुक्त रूप से बताया कि वर्तमान सामाजिक सुरक्षा नीति सीमित होने के कारण हजारों आंदोलनकारी विशेषकर वे जो जेल नहीं गये थे, पर आंदोलन में उनका सक्रिय भूमिका रहा है. लेकिन वे आज भी पेंशन, स्वास्थ्य सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन से वंचित है. इस स्थिति में अब एक मजबूत संयुक्त मंच की आवश्यकता महसूस की जा रही है. ताकि आंदोलन मजबूती के साथ अपनी मांगों को सरकार के सामने रख सके. उन्होंने सभी आंदोलनकारियों से अपील किया है कि वे उक्त बैठक में आवश्यक रूप से भाग ले.   ये हैं प्रमुख मांगें -सभी आंदोलनकारियों को समान सामाजिक सुरक्षा एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाये -पेंशन में उचित वृद्धि तथा नियमित भुगतान किया जाये -आंदोलनकारियों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान की जाये -आंदोलनकारियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दिया जाये -झारखंड आंदोलनकारी संग्रहालय सह स्मारक का निर्माण कराया जाये -झारखंड आंदोलनकारी आयोग का पुनर्गठन किया जाये

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19 नवम्बर तक चलने वाले इस समारोह में 26 राज्यों के 153 जनजाति समूह के ढ़ाई हजार प्रतिभागी भाग लेंगे

उदित वाणी, जमशेदपुर : झारखंड के 25वां स्थापना दिवस और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर टाटा स्टील के जनजातीय महोत्सव संवाद- 2025 का शुभारंभ 15 नवम्बर से होने जा रहा है. 19 नवंबर तक जमशेदपुर के गोपाल मैदान में चलने वाले इस समारोह में 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 153 जनजातियों का प्रतिनिधित्व करते हुए 2,500 प्रतिभागी एक साथ आएंगे. मौके पर टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेन्द्रन समेत कंपनी के वरीय अधिकारी मौजूद रहेंगे. ट्राइबल कल्चर सेंटर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में टाटा स्टील फाउंडेशन के प्रमुख सौरव राय और जिरेन टोप्पो ने बताया कि संवाद का लक्ष्य एक ही मंच पर भारत के लगभग 50 फीसदी आदिवासी प्रतिनिधित्व को शामिल करना है. 2014 में अपनी स्थापना के बाद से संवाद निरंतर बातचीत, आदान-प्रदान और उत्सव के माध्यम से भारत भर की 333 जनजातियों के 43,500 से अधिक लोगों को जोड़ते हुए आदिवासी पहचान के एक अनूठे पारिस्थितिक तंत्र के रूप में विकसित हुआ है.

Suraj नवम्बर 20, 2025 0

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